पति पत्नी का रिश्ता एक महत्वपूर्ण रिश्ता होता है। परंतु आज
हम देख रहे हैं कि समाचार पत्रों व चैनलों पर आए दिन ऐसी घटनाएँ पढ़ने-सुनने को
मिल रही हैं जो पति पत्नी के बीच झगड़े से जुड़ी होती हैं। झगड़े होना एक आम बात है, एक साधारण समस्या है। परंतु कभी-कभी यह साधारण समस्या भी बहुत बड़ा रूप धारण
कर लेती है। जैसे पति ने पत्नी को मार डाला या पत्नी ने पति को
ज़हर दे दिया अथवा पति ने पहली प्रेमिका के साथ मिलकर या पत्नी ने पहले प्रेमी के
साथ मिलकर एक दूसरे की हत्या करवा दी या फिर स्वयं को फांसी लगा कर अपनी जान दे दी।
दोनों एक-दूसरे को समझने का प्रयास कम करते
हैं और आरोप-प्रत्यारोप अधिक लगाते हैं। ऐसा कोई घर नहीं होगा जिस घर में पति
पत्नी के झगड़े न होते हों। पर समझदारी यही है कि प्रेम व मेल-मिलाप स्थापित करने
का प्रयास किया जाए। आरंभ में दोनों के बीच कलह छोटी-छोटी बातों को लेकर शुरू होती
है। कुछ वर्षों बाद आदमी या औरत के दिमाग में इतना तनाव आ जाता है कि उसका अंतिम
परिणाम दु:ख या अपराधिकरण में बदल जाता है।
पति पत्नी के
बीच झगड़े के मुख्य कारण
घर की ज़िम्मेदारियों का निर्वहन न करना
वास्तविकता यदि देखी जाए तो विवाह के बाद
पति-पत्नी साथ मिलकर घर-घृहस्थी कैसे चलाएँ, इसका उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं होता और छोटी-छोटी बातों पर उनमें वाद-विवाद
होता रहता है। यदि पति अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहता है तो पत्नी भी
घर-गृहस्थी से मुंह मोड़ने का प्रयास करती है।
घर-गृहस्थी
की समस्याएँ अनेक हैं। पर अंत में वही होता है जो कभी नहीं होना चाहिए। स्कूल भेजने से लेकर स्कूल से घर आने तक बच्चों की समस्या, फिर स्कूल से शिकायत की समस्या, यदि
मकान किराए का हो तो मकान मालकिन या मालिक से वाद-विवाद,
पड़ोसी से वाद-विवाद, आदि-आदि।
पति द्वारा पत्नी की घरेलू समस्या हल की जाती
है तो पत्नी ने पति को स्वतंत्र रूप से अपने कार्य को करने देना चाहिए। यदि पत्नी
किसी प्रकार की रोक-टोक करती है तो पति को खलने लगता है। क्योंकि पति और पत्नी का प्यार
का रिश्ता ही पति को हर प्रकार से मजबूर कर देता है।
कम कमाई और बढ़ती महँगाई
कलह, झगड़े और विवाद के
सबसे बड़े कारण हैं बढ़ती हुई महंगाई और घटती हुई कमाई। प्रति माह जितनी आय है उसमें घर खर्च नहीं चलता है और आए दिन बढ़ती महंगाई की
समस्या कैसे दूर की जा सकती है इसके पर्याय नहीं ढूँढे जाते। इसलिए पति-पत्नी किसी
न किसी बात पर आपस में झगड़ते रहते हैं।
पत्नी को भी
जब सारा दिन काम करके सुख नहीं मिलता और पति की कमाई से घर नहीं चलता तो वह भी घर
से बाहर काम करके पैसे कमाना चाहती है। परंतु वह सब संभव नहीं हो पता। इसी बात पर
पति-पत्नी में विवाद चलता रहता है।
बहुत से परिवारों
में ज़मीन-जायदाद के बँटवारे से संबन्धित वाद-विवाद में घर बर्बाद होते हैं। बहुत
से परिवारों में न ज़मीन होती है न धन-संपत्ति, वहाँ पर भी पति को कोसा जाता
है।
एक-दूसरे को
समझना बहुत कठिन है, परंतु एक-दूसरे को समझने से ही घर की समस्या हल हो सकती है और तभी पति और
पत्नी का प्रेम एक दूसरे पर बना रह सकता है।
अशिक्षा
अशिक्षा भी पति
पत्नी के बीच झगड़े का एक प्रमुख कारण है। क्योंकि अधिकतर पढ़ा-लिखा मनुष्य या महिला
सभ्यता व मान-मर्यादा को समझते हैं। वे अगर आपस में लड़ते भी हैं तो केवल चार
दीवारी के भीतर। पर अब माहौल इतना खराब हो गया है कि पूरा लड़ाई-झगड़ा सड़कों पर उतर
आता है।
विश्वास की कमी
शक एक ऐसी
बीमारी है जो तन-मन को खोखला बना देती है और इसका कोई इलाज नहीं है, न कोई दवाई है। अनेक परिवार इस कारण बर्बाद हो चुके हैं।
इसके लिए भी कोई पर्याय नहीं है।
जब पति-पत्नी एक-दूसरे को शक की नज़र से देखते
हैं तो कभी-कभी वह शक यथार्थ में बदल जाता
है और पति पत्नी
के बीच झगड़े का कारण बनता है। पत्नी पति को
अपने आदेशों का पालन करने को मजबूर करती है कि इससे मत बोलना, उससे मत बोलना। पति चाहता है कि पत्नी यदि
लड़ाई-झगड़े करके पास-पड़ोसी से संबंध बिगाड़ लेती है तो मैं भी क्यों उसकी तरह बिगाड़
लूँ। क्योंकि वह सब के साथ मिल-जुलकर रहना चाहता है।
पत्नी के साथ पति भी उतने ही दोषी होते हैं जितनी की पत्नी। पति जैसे यह पसंद नहीं करता कि पत्नी अन्य पुरुषों के साथ न तो बातचीत करे और न ही किसी से घनिष्ठ संबंध बनाए, इसी तरह पत्नी भी चाहती है कि पति का संबंध अन्य किसी महिल के साथ न हों।
इसमें स्वयं समझदारी दिखाना आवश्यक है। एक-दूसरे
पर विश्वास करना बहुत आवश्यक है। अपने मन को समझाना पड़ता है और क्षमता रखनी
पड़ती है। हर समझौते के लिए एक विशेष उम्र की आवश्यकता होती है और अनुभव की भी।
अवैध संबंध बनाना
आज यह
सामान्य सी बात हो गयी है कि एक दूसरे से छिप-छिप कर रिश्ते बनाए जा रहे हैं।
इसमें शारीरिक एवं मानसिक आनंद का अधिक हिस्सा है। परंतु ऐसे सम्बन्धों से न केवल पति
पत्नी के बीच झगड़े होते हैं बल्कि रिश्ते टूटते हुए दिखाई देते हैं। अब यह कोई
कहने वाली बात नहीं है। न चर्चा का विषय है। परंतु देश का माहौल अवैध सम्बन्धों के
मामलों में बहुत खराब हो चुका है।
तहसील क्षेत्र या ज़िला क्षेत्र में शायद इतना
खुलापन नहीं दिखाई देता है। परंतु दिल्ली मुंबई जैसे शहरों की स्थिति बहुत ही
गंभीर है। पार्क व सड़कों पर युवक-युवतियाँ मौज-मस्ती करते हुए दिखाई देते हैं।
किसका रिश्ता किसके साथ क्या है, यह कहना असंभव है। उनमें वह लोग भी हैं जो
विवाह करके तलाक के नाम पर एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। पत्नी अपने चरित्र को भूल
गयी और पति अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं।
अधिकतर पुरुष
अपने ही खास रिश्ते की महिलाओं से संबंध रखते हुए पाए जाते हैं। जैसे कि पति की
छोटी या बड़ी बहन के साथ अथवा दूर के रिश्ते की बहनों से, पास-पड़ोस में, आदि। आरंभ में यह सामान्य रिश्ते दिखाई देते हैं। पश्चात घनिष्ठता बढ़ती
है। अंततः अवैध संबंध बन जाते हैं। वहाँ पर पत्नी के हृदय को ठेंस पहुँचती है। फिर
भी पति यही कहता है – “क्या बेकार की बातें कर रही हो? मुझ
पर शक करने के अलावा तुम्हें और कुछ काम नहीं आता है क्या?”
परंतु इसी तरह महिलाएं भी इन कार्यकलापों में लिप्त पायी जाती हैं।
इस आपाधापी
में लोगों के घर बर्बाद हो गए हैं। कई पत्नियाँ या तो अपने आप को क्षति पहुंचा
चुकी हैं या फिर ससुराल छोड़कर मायके जा बैठीं। सभी रिश्ते सभी संबंध पति पर ही
निर्भर करते हैं। परंतु यह भी स्वाभाविक है कि पत्नी को पति के अलावा और भी दूसरे
लोग पसंद करते हैं, पति को भी दूसरी महिलाएं चाहने लगती हैं।
प्रेम विवाह की वस्तुस्थिति
अंतिम बात आती है प्रेम विवाह करने वालों की।
प्रेम विवाह करने वाले अपने आपको बहुत ही भाग्यशाली समझते हैं। लड़का समझता है कि
मुझे मन जैसी लड़की मिल गयी है। लड़की समझती है कि मुझे योग्य लड़का मिल गया है।
अंततः दो-चार महीनों के बाद पति पत्नी के बीच झगड़े व कलह आरंभ होते हैं और फिर तलाक तक बात पहुँच जाती है।
देश के न्यायालयों में सबसे अधिक केस तलाक लेने वालों के ही लंबित हैं। इस बीच
पत्नी ने और कोई ढूंढ लिया, वही काम पति ने
भी किया, बच्चे मात्र परेशान हैं। समाज और बीरदारी में चर्चा
हो रही है।
प्रेम विवाह करने वाले सबसे अधिक भारतीय
फिल्मों से प्रभावित होते हैं। फिल्में मनोरंजन का साधन हैं। इसे जीवन से न जोड़ें
और ऐसी घटनाओं से बचें।
कौन है अधिक ज़िम्मेदार ?
पुरुषों ने हमेशा स्त्रियों पर आरोप लगाए हैं
कि मेरी औरत गलत है, उसके आचरण व
आदतें ठीक नहीं हैं, वह चरित्रहीन है,
आदि। साथ-साथ दस-बीस गालियां भी जोड़ ली जाती हैं। जो स्त्री सुंदर है उस पर पर
पुरुषों की नज़रें पड़ती रहती हैं और वह जब पर पुरुषों से आँखें मिलाकर बात करती है
तो उसे चरित्रहीन कहा जाता है। यह ठीक नहीं है। इस पर पति के पारिवारिक संस्कार
निर्भर करते हैं।
विवाह के बाद जब पत्नी अपने पति को समझने का
प्रयास करती है उस समय पति धोखेबाज़ व झूठे निकल आते हैं। विवाह के पहले कहा जाता
है कि उसके पास अपना मकान है, पर बाद में पता चला कि वह किराए पर रहता है। बैंकों में जमा पूंजी बताता
है, पर अनेक महाजनों से कर्ज़ा लिया हुआ है। मैनेजर की नौकरी
बताकर टाई-कोट पहनता है और वेटर की नौकरी करता है। यह सारा यथार्थ जब पत्नी सुन
लेती है तो घर में कलह आरंभ होता है।
कईं बार यह भी देखने को मिलता है कि महिलाओं
की आशा व इच्छा बहुत हैं। परंतु कभी-कभी उनके आदमी उनके शौक पूरे नहीं कर पाते।
ऐसी स्थिति में वह अपने पति पर क्रोध या
गुस्सा निकलती रहती है। पुरुष तो कमाते-कमाते कोल्हू के बैल जैसा बन गया है।
वस्तुतः पति पत्नी के बीच झगड़े के लिए दोषी मुख्यतः पुरुष को ही माना जाता
है। झगड़े की जड़ यदि पुरुष है तो उसका हल निकालने के बजाए दु:खों में समापन करना, इसका कारण भी पुरुष ही हैं। परंतु पुरुष कब
तक शोषण करता रहेगा, यह भी एक प्रश्न है। ऐसे में दोनों को
एक-दूसरे को समझने की आवश्यकता है।
क्या हो समाधान ?
झगड़े होने के पीछे कारण कोई भी क्यों न हो, उस कारण को दूर करके पति पत्नी का रिश्ता मज़बूत
व प्रेमपूर्ण अवश्य बनाया जा सकता है। इसमें दोनों का ही योगदान आवश्यक है। पति
पत्नी के बीच झगड़े कम हों तथा संबंध मज़बूत हों, इसके लिए पढ़ें यह लेख - पति पत्नी संबंध सुदृढ़ कैसे बनाएँ ।