देशी-विदेशी पर्यटक जब मांडू के लिए चल पड़ते हैं तब मार्गदर्शन करने वाले गाइड सबसे पहले रानी रूपमती की प्रेम कहानी आरम्भ करते हैं क्योंकि मांडू का दूसरा नाम रानी रूपमती की प्रेम कहानी है. रानी रूपमती व ‘बाज़ बहादुर’ की प्रेम कहानी अर्थात पत्थरों एवं खंडहरों से एक ऐतिहासिक अमर प्रेम कहानी उभर कर सामने आती है. ऐतिहासिक पत्थरों से बने बड़े-बड़े दरवाज़े पर्यटकों का स्वागत करते हैं, तब ऐसा लगता है कि जिस समय पूरे स्थल के बाँध का काम चल रहा होगा तब के इंजीनियर, मिस्त्री व मज़दूर कैसे होंगे? आज तो ऐसे इंजीनियर दिखाई नहीं देते. क्योंकि विशालकाय महलों का निर्माण तो बंद हो गया है. बारह फुट से ऊँचें किसी इमारत के दरवाज़े नहीं हैं.
उस
समय के शासक भी समृद्ध शासक होते थे. कोई भी काम करते थे तो इतिहास रचने के लिए करते थे. महल बनाने और वहां रहने का स्थान एकांत तथा पहाड़ी
क्षेत्र को चुनते थे जहां जनसाधारण रहने के लिए न पहुंचे.
जून
महीने में जब बरसात होती है तो उस बरसात का रंग जुलाई महीन में दिखाई देता है और
पूरे मांडू क्षेत्र में हरियाली छा जाती है
और इस हरियाली का आकर्षण यहां आने वाले पर्यटक, विशेष रूप से प्रेमी जोड़े बाज़ बहादुर व रानी रूपमती के चर्चे में खो
जाते हैं. इसी कारण आषाढ़ व श्रावण मास में यहां
पर्यटकों का मेला सा लगा रहता है.
इतिहास के पृष्ठों में यह भी लिखा है कि किसी समय मालवा नाम का एक राज्य था और उस राज्य की राजधानी मांडू नगर था. यहां का राजा बादशाह बाज़ बहादुर के नाम से प्रसिद्ध था. बड़ी-बड़ी प्रेम कहानियां जैसे – लैला-मजनूँ, हीर-रांझा व रोमियो-जूलिएट प्रसिद्द हैं, इसी तरह इस मालवा राज्य में बादशाह बाज़ बहादुर की प्रेम कहानी प्रसिद्ध है. रूपमती नाम की बहुत सुन्दर स्त्री से बाज़ बहादुर का प्रेम हो जाता है. पहले वो राजा की प्रेमिका थी और बाद में राजा की पत्नी बनकर रानी बन गयीं. बाज़ बहादुर व रानी रूपमती में अटूट प्रेम था, यह मालवा के लोक गीतों में झलकता है.
रानी
रूपमती के लिए उनके नाम से एक महल भी बनवाया गया था. ऊंची पत्थर की चट्टान जिसकी
ऊंचाई 400 मीटर है,
ऐसे
स्थान पर बाज़ बहादुर ने अपनी रानी का महल बनवाया था जिससे
रानी को कोई देख भी न सके. ऐसा भी कहा जाता है कि उस महल से चारों तरफ का नज़ारा बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है. रानी रूपमती अपने महल से दूर से बहती
हुई नर्मदा नदी की बहती जलधारा की खूबसूरती को निहारती थीं. यह
बताया जाता है कि रानी के आदेश व इच्छानुसार बाज़ बहादुर के महल का एक-एक डिज़ाइन
तैयार करवाया गया था.
इतिहास के पन्नों में यह भी लिखा है कि सन् 1561 में मुग़ल बादशाह अकबर की सेना के जनरल आदम खान ने मालवा पर आक्रमण किया और बाज़ बहादुर को पराजित कर दिया था. उस अवस्था में रानी रूपमती को खोज निकाला गया क्योंकि रानी रूपमती की सुंदरता की खबर शत्रुओं को भी थी. रानी रूपमती शत्रुओं के हाथ लग गयी, परन्तु रानी रूपमती ने शत्रुओं के आगे समर्पण न करते हुए प्राण त्याग दिए. इसी घटना के साथ रानी रूपमती व बाज़ बहादुर की प्रेम कहानी अमर हो गयी.
इतिहास के पन्नों में यह भी लिखा है कि सन् 1561 में मुग़ल बादशाह अकबर की सेना के जनरल आदम खान ने मालवा पर आक्रमण किया और बाज़ बहादुर को पराजित कर दिया था. उस अवस्था में रानी रूपमती को खोज निकाला गया क्योंकि रानी रूपमती की सुंदरता की खबर शत्रुओं को भी थी. रानी रूपमती शत्रुओं के हाथ लग गयी, परन्तु रानी रूपमती ने शत्रुओं के आगे समर्पण न करते हुए प्राण त्याग दिए. इसी घटना के साथ रानी रूपमती व बाज़ बहादुर की प्रेम कहानी अमर हो गयी.
मांडू
में देखने योग्य और भी स्थान हैं जैसे कि
जहाज़ महल, हिंडोला महल, होशंग शाह का मक़बरा, नीलकंठ
शिव मंदिर, वास्तुकला से निर्मित जामी मस्जिद. यही
मांडू की ऐतिहासिक धरोहरें हैं.
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