पति पत्नी संबंध सुदृढ़ कैसे बनाएँ


 




हर कोई यह तो चाहता है कि पति पत्नी संबंध सुदृढ़ हों, आपस में झगड़े कम व प्रेम अधिक हो, परंतु उसके लिए प्रयास करने में कहीं न कहीं लापरवाही बरती जाती है। इससे पिछले लेख में पति पत्नी के बीच झगड़े के मुख्य कारणों को बताया गया। उन कारणों को दूर करके पति पत्नी का रिश्ता मज़बूत व प्रेमपूर्ण अवश्य बनाया जा सकता है। इसमें दोनों का ही योगदान आवश्यक है।  



पति पत्नी का रिश्ता


एक दूसरे का सम्मान करें

पति और पत्नी का प्यार बना रहे, इसके लिए एक-दूसरे का सम्मान करना बहुत आवश्यक है। दूसरे को अपमानित करके आप सम्मान पाने की अपेक्षा नहीं रख सकते। बात-बात पर पति का पत्नी पर हाथ उठाना या गाली-गलौच करना निचले स्तर का काम है। पत्नी द्वारा अपने रिशतेदारों या सहेलियों के बीच अपने ही पति की बुराइयाँ करना उचित नहीं है। इससे पति पत्नी संबंध खराब होने लगते हैं। जो पति पत्नी आपस में लड़-झगड़ रहे हैं वे इस बात का ध्यान रखें कि अपना दोष दूसरे पर न रखें। संसार चलाने के लिए बुद्धि व समझदारी की आवश्यकता है।

वह अच्छा पति नहीं है जो घर में कमाकर नहीं लता या फिर जो कमाता है वह बाहर ही उड़ा देता है। बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता। ऐसे ही पति पत्नी कि उपेक्षा के पात्र बनते हैं। पत्नी क्या चाहती है इस पर पति ध्यान दे। उसकी जो भी इच्छाएँ होती हैं उसे पूरा करने का प्रयास करे। पत्नी को साथ लेकर चलें, उसकी भावनाओं को समझें, वह जो कहती है उसका कहना मानें।

और पति ने पत्नी को जो काम सौंपा हो वह काम पत्नी पूर्ण करके दिखाये। पति को यह मौका न मिले कि वह क्रोध में आकर गलत कदम उठाए। जो पत्नी अपने पति को योग्य दर्जा देती है, ऐसी पत्नी के पति ने उसका सम्मान किया है।

दोनों को ही कभी अपने अधिकारों का प्रयोग करना होगा और कभी अपने अहं को परे रखकर झुकना भी होगा। छोटी-छोटी बातों पर तू-तू मैं-मैं करने के स्थान पर तालमेल बिठाकर घर-गृहस्थी चलनी होगी। एक-दूसरे को समझना, एक-दूसरे पर विश्वास करना, एक-दूसरे का कहना मानना और एक-दूसरे की गलतियाँ स्वीकार करने से ही पति पत्नी का प्रेम और बढ़ता है।

परंतु यहाँ पर ही व्यक्ति हार-जीत का फैसला कर लेते है। पति पत्नी संबंध सुदृढ़ बनाने के लिए केवल दोनों ही आपस में सम्झौता कर सकते हैं। घर बर्बाद होने से पहले दोनों को ही सोच-समझकर काम लेना चाहिए। 

पति पत्नी का प्रेम



घर की ज़िम्मेदारियाँ निभाएँ 

घर चलाने के लिए प्रतिदिन उसे घर खर्च दें या महीने का खर्च उसके सुपुर्द करें। घर कैसे चलाना है इसकी जानकारी पत्नी को है, पति को नहीं। अपने वेतन का कुछ हिस्सा पत्नी के बजट के लिए रखिए। पति को यह भी सोचना चाहिए कि वह अपनी कमाई को बढ़ाता रहे।

पत्नी यदि छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए पड़ोसी के घर जाकर मांग करे तो यह उचित नहीं है। हाँ, यदि आवश्यकता होने पर कोई वस्तु अपने घर में नहीं है तो हर कोई अपने पड़ोसी से उस वस्तु की मांग करता ही है। जो तर्कसंगत भी है।

पति अपने घर को चलाने के लिए कर्ज़दार न बनें। घर-परिवार में लगने वाली वस्तुएँ उधारी में न खरीदें। वस्तुएँ नगद राशि खर्च करके खरीद कर लानी चाहिए। इससे दुकानदार के पास आपकी प्रतिष्ठा बनी रहती है। आपका सबसे पहला प्रचारक दुकानदार ही है। आपके मोहल्ले में दुकानदार ही बता सकता है कि आपके व्यवहार कैसे हैं।

इसके अतिरिक्त घर गृहस्थी से जुड़ी अन्य ज़िम्मेदारियों का निर्वहन भी उचित रूप से करें। पति पत्नी दोनों ही घर से जुड़ी ज़िम्मेदारियां आपस में बाँट लें, जैसे किराने का सामान खरीदना, बिजली पानी का बिल भरना, बच्चों के स्कूल से जुड़ी जिम्मेदारियाँ, घर के दैनिक कार्यों को करना, आदि-आदि।

यदि दोनों ही कमाने के लिए घर से बाहर जाते हैं तो जिम्मेदारियों को बांटना और भी आवश्यक हो जाता है। इससे किसी एक पर बोझ नहीं पड़ता और झगड़े होने की संभावना नहीं होती।

बच्चों के भविष्य पर ध्यान दें 

संतान पति पत्नी संबंध की ऐसी कड़ी होती है जो दोनों को किसी भी परिस्थिति में एक दूसरे से जोड़े रखती है। इसलिए पत्नी पति अधिक से अधिक अपने बच्चों की तरफ ध्यान दें। कमाई का व काम का समय पूरा होने के बाद बाकि का समय बच्चों के लिए देना चाहिए। क्योंकि बच्चों का भविष्य बनाना है तो उसमें सक्रिय रूप से पति पत्नी को बच्चों को अपने सानिध्य में रखना आवश्यक है। अन्यथा बच्चे बर्बाद हो जाएंगे।

बच्चे भले ही आपके हैं पर वे राष्ट्र की धरोहर हैं। उन्हें अच्छा खिलाना-पिलाना और उनकी उच्च शिक्षा पर ध्यान देना, यह तब ही संभव है जब आपकी पत्नी आपका साथ दे। पत्नी तब ही साथ देगी जब उसका पति उसके लिए आदर्शवादी बनें। स्वयं में जो अहंकार है उसे अपनी पत्नी के चरणों में डाल दीजिये।

संस्कारों का प्रभाव आपके बच्चों पर पड़ता है। इसलिये कहा जाता है कि विवाह करें तो संस्कार वाले घर में ही करें। संस्कार वाले घर को ढूँढने के कारण विवाह के लिए कभी कभी विलंब तो होता है, पर विवाह पक्का हो जाता है। आप स्वयं दोषों से मुक्त रहिए। जीवन बहुत सरल है, परंतु इसे सरल बनाए रखना कठिन है।

पत्नी की अपेक्षाएँ 

आपकी पत्नी भी आपकी प्रशंसा चाहती है। अनेक महिलाएं अपने पति पर गर्व करती हैं। अपने पति की पूजा करती हैं, पति को आदरणीय समझती हैं। पति के घर आने की प्रतीक्षा करती हैं। जब तक पति घर नहीं आएगा तब तक वह भोजन नहीं करती। अपने पति के संबंध में कोई ग़लत शब्द प्रयोग करता है तो उसे वह स्वीकार नहीं करती है।

कारण कि ऐसी महिलाओं के पति आदर्शवादी स्वभाव के होते हैं। पत्नी के साथ कभी झूठ नहीं बोलते। कभी सिगरेट-शराब का सेवन नहीं करते। महीने भर की सारी कमाई विश्वास के साथ अपनी पत्नी के हाथों में रखते हैं। ऐसे ही परिवारों में पति पत्नी संबंध मधुर बने रहते हैं और ऐसे ही परिवार आगे बढ़ते हैं । उनकी संतान भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ती है। 

ऐसी स्थिति कभी मत बनने दें कि घर छोटी-मोटी बात को लेकर बर्बाद हो जाए। पति पत्नी संबंध जितने मधुर होंगे, उतना ही आनंद जीवन में बना रहेगा। घर में कलह-क्लेश न हों तो इससे बड़ी शांति और क्या हो सकती है।

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