विलियम शेक्सपियर |
कुछ ही
साहित्यकार ऐसे हैं जिनका नाम पूरे विश्व भर में जाना जाता है और उन्हीं में एक
महान साहित्यकार हैं – विलियम शेक्सपियर। साहित्यिक पुस्तकों का अध्ययन करने वाले पाठकों
को शेक्सपियर का नाम बिल्कुल पता है। शेक्सपियर का वह काल था जो भारतीय काव्य
रचनाकार कालिदास का था। शेक्सपियर व कालिदास का समय पाँच सौ वर्ष पूर्व का माना
जाता है। पाँच सौ वर्ष पहले के साहित्य को जीवित रखना भी एक विशेषता है। इसलिए शेक्सपियर
के साहित्य को पूजा जाता है। शेक्सपियर के जीवन पर तथा उनकी रचनाओं पर अनेक शोध कार्य
किए जा चुके हैं।
शेक्सपियर का जीवन
शेक्सपियर की जीवनी में लिखा है कि उनका जन्म 26 अप्रैल, 1564 को हुआ
तथा मृत्यु 23 अप्रैल, 1616 को हुई। उनकी रचनाएँ मुख्यतः नाट्यकला
पर आधारित थीं तथा विलियम शेक्सपियर स्वयं एक थिएटर कलाकार थे।
सन
1582 में ऐनी हेथवे नाम की एक महिला के साथ विलियम शेक्सपियर का विवाह हुआ। ऐनी
हेथवे शेक्सपियर से आयु में आठ वर्ष बड़ी थीं। उनका विवाह भी कई दिनों तक चर्चा का
विषय बना रहा। शेक्सपियर एक्टर और प्ले राईटर थे और ऐनी हेथवे उन्हीं के साथ थिएटर
में काम करती थीं।
शेक्सपियर का साहित्य
शेक्सपियर ने चालीस के लगभग रचनाएँ लिखी हैं परंतु उनकी कोई पाँच-छ: रचनाएँ ही अधिक चर्चित
हैं, जैसे - रोमियो जूलियट, मैकबेथ, ओथेलो, जूलियस सीज़र, हैमलेट आदि। 1593 व 1594 में उनकी अपनी कविताएं प्रकाशित हुईं। अपितु उनका
सारा साहित्य नाट्यकला के लिए ही समर्पित था। विलियम शेक्सपियर एक नाटक कंपनी के
सदस्य भी बने। वह इसलिए कि कंपनी शेक्सपियर के नाटकों का मंचन करके दर्शकों में
पहचान बनाए।
थियेटर के क्षेत्र में शेक्सपियर का योगदान
विलियम शेक्सपियर को जैसे-जैसे कला का अनुभव हुआ वैसे-वैसे उन्होंने कलात्मक साहित्य की उपज की। दर्शक उन्हें
प्रिन्सिपल कॉमेडियन के नाम से जानने लगे। वर्ष 1603 में उन्हें प्रिन्सिपल ट्रेजेडियन
के नाम से दर्शकों ने पहचाना अर्थात वे हास्य नाटकों के साथ-साथ संवेदनशील नाटकों
की रचना एवं मंचन भी करने लगे। वे 1608 में उच्च दर्जे के नाटककार के रूप में
दर्शकों के सामने उभरकर आए।
उन्होंने
कलाकार होने के नाते थिएटर करते-करते बहुत धन कमाया और धन के साथ ख्याति भी
प्राप्त की। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने अपनी कमाई का अधिकतर हिस्सा स्ट्रेटफोर्ड
रियल एस्टेट के लिए खर्च किया जो एक उत्कृष्ट थिएटर कंपनी की स्थापना के लिए था।
थिएटर की स्थापना तथा चालीस नाटक जो विश्व के लिए प्रेरणा बने, यह सब शेकस्पीयर की देन थे। उनके अपने साहित्य की रचना की कोई तिथि
निश्चित नहीं थी, जो मन में आया उसे हाथोंहाथ तैयार किया तथा
शाम को उसका मंचन भी कर लिया गया। यह स्थिति शेक्सपियर की थी।
विश्वभर के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है शेक्सपियर का साहित्य
विश्व
के महान साहित्यकारों में शेक्सपियर का नाम सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है। भारत के
अनेक विश्वविद्यालयों के अंग्रेज़ी विषय के पाठ्यक्रम में शेक्सपियर के साहित्य को संलग्न किया गया है जिससे बच्चे
शिक्षा के आधार पर प्रभावित हो सकें। ओथेलो, मैकबेथ, रोमियो जूलियट, हैमलेट, जूलियस
सीज़र, इन रचनाओं को विद्यापीठों की कक्षाओं में पढ़ाया जाता
है।
समाज के लिए प्रेरणादायी हैं शेक्सपियर की रचनाएँ
शेक्सपियर के नाटकों का कथानक ज्वलंत समस्याओं पर आधारित है। पात्र ऐसे लगते हैं जैसे सजीव
रूप में काम कर रहे हों। उनके साहित्य की भाषा भले ही कठिन हो परंतु विश्व भर के
विद्वानों ने अपनी-अपनी मातृभाषा में शेक्सपियर के नाटकों का अनुवाद किया है। विश्वभर
में सैकड़ों भाषाएँ हैं और उन सभी भाषाओं में शेक्सपियर के साहित्य का अनुवाद हुआ
है।
शेक्सपियर ने अपनी पुस्तकों में मानवीय जीवन का विशेष मूल्यांकन प्रस्तुत किया है। जब भी
जीवन में अहंकार का आगमन होता है तब व्यक्ति का पतन होने लगता है, यह परिभाषा शेक्सपियर ने अपने नाटकों द्वारा समाज के लिए प्रस्तुत की है।
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