श्री नितिन कलाल जी का काव्य संग्रह
“स्वप्न दर्पण” का विमोचन 6 मई, 2017 को कनाट प्लेस के ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर
में किया गया। इस पुस्तक का विमोचन मेरी अध्यक्षता में हुआ। पुस्तक का प्रकाशन माय
बुक्स पब्लिकेशन्स द्वारा किया गया है।
नितिन का यह पहला काव्य संग्रह है। वस्तुतः
उनकी यह पहली ही रचना है। पहली-पहली रचना में आकार व रूप भले ही नया-नया या प्राथमिक
अवस्था में दिखाई देता हो, परंतु शब्दों में,
वाक्य रचना में या स्पष्टीकरण में युवा अवस्था की झलक साफ-साफ दिखाई देती है।
हर युवा के जीवन में एक कहानी होती है, कुछ
संस्मरण होते हैं कुछ अपमान या कड़वाहट होती है। परंतु हर युवा लिख नहीं पाता है जो
नितिन कलाल ने लिखकर अपने मन की अभिव्यक्ति पुस्तक के रूप में प्रस्तुत की।
श्री नितिन कलाल कहते हैं – “मेरी लिखी
हुई कविताएं मेरी व्यक्तिगत भावनाएँ हैं। मैं वही लिखता गया जो मैंने वास्तविकता
में अनुभव किया।” ग़ालिब साहब को वे प्रेरणा का स्त्रोत मानते हैं।
‘प्रेम’ - यह प्रक्रिया
उम्र के साथ हर युवा के जीवन से जुड़ जाती है। हर युवा किसी न किसी युवती से प्रेम
की इच्छा रखता है। कोई सफल हो जाता है और कोई नहीं हो पाता। बहुत से तो अपनी कमज़ोर
आर्थिक परिस्थिति या माता पिता का आचरण देखकर प्रेम की तरफ झुके ही नहीं। यह भी
जीवन का एक हिस्सा है।
नितिन कलाल की तरह लाखों नवयुवक अपने
प्रेम को कलम से ही लिखते रहे। वे सोच भी रहे हैं कि गालिब साहब की पुस्तकों की
तरह उनके विचारों को भी पुस्तक का रूप मिले।
किन्तु नितिन कलाल का यह सपना श्री मूलचंद
जी की प्रकाशन संस्था माय
बुक्स द्वारा संभव हुआ। पुस्तक का प्रकाशन होना लेखक के
लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
बहुत से कवि या लेखक आज भी तरस रहे हैं कि
उनकी पुस्तक कब प्रकाशित होगी। किन्तु किसी लेखक ने या कवि ने कभी घबराना नहीं
चाहिए। समय आते ही उनकी पुस्तक प्रकाशित हो जाएगी और नितिन कलाल की तरह उनका भी
पुस्तक प्रकाशित करने का सुंदर सपना पूरा हो जाएगा।
कवि या लेखक अपने लक्ष्य को पाने का
प्रयास करे। असंभव कुछ नहीं है। नितिन ने अपनि कविता संग्रह में एक कविता प्रेम के
आधार पर लिखी है। इस कविता का नाम है – “वो मेरा इंतज़ार करे”।
है कोई ऐसा भगवान
उनसे मुझे मिलवा दे...
मोहब्बत में मेरी जो
दुनिया को भुला दे।
एक कविता उनकी यह भी है-
तुम भी तो नायाब मुमताज़ सी हो
क्यों होश–ओ-सब्र नहीं रहता
एक तुम्हारे सिवाय
किसी का ख्याल नहीं आता।
असली प्रेम तो यही है। शायद नितिन को और
भी लड़कियां चाहती होंगी, परंतु नितिन उन्हीं को याद कर रहे हैं
जिन्हें वे चाहते हैं।
नितिन ने अपनी कविताओं में अपने विचारों
को स्पष्ट किया और उन संस्मरणों को याद किया जिन्हें वे कभी भूल नहीं सकते हैं।
नितिन कलाल का काव्य संग्रह पढ़कर मैं उन्हें
सुझाव देना चाहता हूँ। उनका 76 पृष्ठों का काव्य संग्रह “स्वप्न दर्पण”
पढ़कर यह प्रतीत होता है कि अभी लेखनी में उनकी शुरुआत है। भाषा पर कमांड नहीं है।
भाषा का अधिकतर प्रयोग उर्दू शब्दों में
किया गया है। परंतु उनमें निष्कर्ष नहीं निकाल पा रहा है। आपने जो कविता लिखी है
उसमें किसी एक काल का संदर्भ नहीं है। पर आप जब भी कविता लिखें तो भूतकाल को लेकर
लिखें, तभी उन कविताओं में यथार्थ दिखाई देगा। जैसे कि – मैंने यह देखा था; मैंने
ऐसा अनुभव किया था; मुझे यह मालूम नहीं था; मैं तो आगे बढ़ रहा था; आदि। यह वर्णन भूतकाल का है।
आप वर्तमान में भी लिख सकते हैं, परंतु
पूरी कविता में किसी एक ही काल का संदर्भ या विश्लेषण होना चाहिए। एक कविता का मैं
उदाहरण देना चाहता हूँ। कवि कहता है –
मैं फटे हुए कपड़े पहनकर
सोना बेच रहा था
पर मेरी दुकान पर
एक भी ग्राहक नहीं आ रहा था
परंतु जब में सोना पहनकर
फटे हुए कपड़े बेचने लगा
तो भीड़ कम नहीं हो रही थी
श्री नितिन को मेरी शुभकामनाएँ ! आगे बढ़िए
और अपने सपनों को साकार करिए !
- साहित्यकार
लक्ष्मण राव
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